Friday, July 24, 2020

छोटी कविताएँ

चार दिन की चाँदनी 

चार रूप - यौवन के दिन |

दो तेरे इंतज़ार में गुज़रे,
दो तुझे भुलाने में !

Dated: 22 September 1991


बहुत बरस बीते 

बहुत बरस बीते, मेरे मकान पर,
एक चिराग़ रौशन किया था तुमने।


मेरे लिए हर रात दिवाली सी है |


Dated: - 22 September 1991


लैम्पपोस्ट

अँधेरी रातों में मैं जलती हूँ किसी दिए की तरह |

दिया वो न किसी घर का, न किसी मंदिर का,
दिया  वो   किसी   चौराहे    पे    जलता   है |


छोटी सी इच्छा

मैंने तो एक आसान सी इच्छा की थी -
सोऊँ गहरी नींद, कि मीठे सपने आएं |

बस इतनी सी बात, और नींद मुझसे रूठकर चली गयी |


वक़्त 

वक़्त हाथों में आकर भी,
फिसल भागता है मछली की तरह |

हमसब मछेरे, अनुभवहीन !

12 October 1999

Anybody listening?

कितनी पूजा, कितना ध्यान,
कितने दीप जलाए |
शायद कोई प्रार्थना,
तुम्हारे अंतर को छू जाए |

Dated: - 7 September 2000

जब हम मिले 

दिन बेहद उदास था,
रात उखड़ी -उखड़ी,
दोनों के दरम्यान,
कभी गप-शप न हो सकी |

Dated - 17 August 2001

कविता

इन हथेलियों में अब
कोई कविता नहीं उगती,
शायद सूख गयी गंगोत्री

मर गया आँखों का पानी !

1992

2 Comments:

At 8:23 PM , Blogger Sachin Garg said...

wah wah..
great collection..
enjoyed!

 
At 5:28 AM , Blogger Gaurav said...

:)

aapki aur tariif jaan sakte hai kya??

mere blog pe mere aas paas ke logo ke alaava bas aap hi ke comments hai..

khair...

is post ke shuru ki lines ke baare me..

umr daraaj maang kar laaye the chaar din,
do aarzuu me beet gaye do intizaar me .

:)

cheers

 

Post a Comment

<< Home